Indian rapper Munawar Faraqui drop another song titled Kalandar featuring Farhan Khan on his youtube channel and other music streaming platform. Here you will get Munawar Faraqui Kalandar lyrics Munawar Faraqui.
The song Kalandar is written by Munawar Faraqui and Farhan Khan and music produced by Noran Beatz.
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Kalandar lyrics Munawar Faraqui
Chalke Mai Sadko Se,
Batha Ab Palko Pe,
Har Din Chalata Mai,
Apni Hi Sarto Pe,
Zakhmo Se Behta Lahoo,
Pocha Pardo Se,
Malam Lagati Meri,
Dardo Mei,
Sukhi Zami Kehti,
Mujhse Kab Barsoge,
Par Mera Vaada,
Kal Milne Ko Tarso Ge,
Dete Bicha Mere,
Paoro Mai Makhmal Mai,
Rokun Yeh Kehke,
Juda Ab Bhi Farsho Se,
Sapne Dekhta Par,
Chain Se Me Soya Kab Tha,
Hasa Ke Bhula,
Aakhri Bar Mai Roya Kab Tha,
Aajati Raunak Mehfilon,
Mai Mere Nam Se Hi,
Itna Nayab Hun Aaj,
Dam Koi Laga Nai Sakta,
Gaareeb Bachpan Se,
Lagai Ab Shart Hai,
Fareed Sabse Hun,
Awaz Me Hi Tark Hai,
Fark Hai Me Chadta,
Nahi Bhid Leke,
Akele Haq Pe Mai,
Paida Huwa Rid Leke,
Waqif Hai Sab Toh,
Fasane Dard Ke Gaun Kya,
Zahen Me Galib Toh,
Khazana Koi Laun Kya,
Woh Kehte Chubte,
Mere Lafz Unhe Bahot,
Chir Degi Khamosi,
Chup Ho Jaun Kya,
Saja Ke Jugnu Deta,
Rahat Hun Me Raat Ko,
Utaru Kagzo Pe,
Puri Qayanat Ko,
Aine Bhi Tut Jate,
Hai Chehra Dekh,
Unhi Tukre Pe,
Likha Jazbat Ko,
Sar Pe Zimmedar,
Khawahish Ko Apni Mara,
Jatate Kehke Sab,
Toh Liya Na Sahara,
Manta Hun Mai Hara,
Hun Hazaro Jung,
Khuda Gawah Hai,
Ek Bar Bhi Na Himat Hara,
Duba Khub Mai Kaise,
Koi Kunwa Roke,
Jalte Sare Mai Aage,
Badta Dhuan Hoke……
Writer: Munawar Faruqui, Farhan Khan
Kalander Lyrics in Hindi
चलके में सड़को से,
बैठा अब पलकों पे
हर दिन चलता में
अपनी ही सरतो पे
ज़ख्मो से बहता लहू,
पोछा पर्दो से
मलहम लगाती कलम
मेरे दर्दो पे
सुखी ज़मी कहती
मुझपे कब बरसोगे
पर मेरा वादा
कल मिलने को तरसोगे
देते बिछा मेरे
पैरो में मखमल में
रोकू ये कह के
जुड़ा अब भी फर्शो से
सपने देखता पर
चैन से में सोया कब था
हँसा के भुला
आखिरी बार में रोया कब था
आ जाती रौनक महफिलों
में मेरे नाम से ही
इतना नायाब हु आज
दाम कोई लगा नहीं सकता
गरीब बचपन से
लगायी अब सरत है
फरीद सबसे हूँ
आवाज में ही तर्क है
फरक है में चढ़ता
नहीं भीड़ लेके
अकेले हक़ पे में
पैदा हुआ रीड लेके
वाक़िफ़ है सब तोह
फ़साने दर्द के गाऊं क्या
ज़हन में ग़ालिब तो
खज़ाना कोई लाऊं क्या
वो कहते चुब्ते
मेरे लफज बहोत
चीर देगी खामोसी
चुप हो जाऊं क्या
सजा के जुगनू देता
राहत हूँ में रातों को
उतारूं कागज़ो पे
पूरी क़ायनात को
आईने भी टूट जाते
मेरा चेहरा देख
उन्ही टुकड़ो पे
लिखता जज़्बात को
सर पे जिम्मेदारी
ख्वाहिशों को अपनी मारा
जताते कह के सब
तो लिया न सहारा
मानता हूँ मैं हारा
हज़ारो जुंग
खुदा गवाह है एक बार भी
न हिम्मत हारा
डूबा खुद में कैसे कोई कुंवा रोके
जलते सारे में आगे बढ़ता धुआँ होके
ना कभी देखता आगे क्या मुसीबत है
मेरे पीछे काफिले चलते दुआओं के
मैंने तूफ़ान से लड़ कर लोह जलाई है
तब जाके रब ने नियामतें सजाई है
मेरे अँधेरे तो रात से भी काले थे
खवाब की खातिर मैंने नींद को आग लगाई है
मेरी कलम मेरी क़ूवत
में लहरों पे समंदर लिख दूँ
दम इतना है मैं
मस्त रहता खुद ही में
में खुद की पेशानी पे
कलंदर लिख दूँ
चलके में सड़को से,
बैठा अब पलकों पे
हर दिन चलता में
अपनी ही सरतो पे
ज़ख्मो से बहता लहू,
पोछा पर्दो से
मलहम लगाती कलम
मेरे दर्दो पे
सुखी ज़मी कहती
मुझपे कब बरसोगे
पर मेरा वादा
कल मिलने को तरसोगे
देते बिछा मेरे
पैरो में मखमल में
रोकू ये कह के
जुड़ा अब भी फर्शो से
सपनो को ज़िन्दगी दी
मैंने खुद को मौत देके
लफ्ज़ो मैं जान डाली मैंने
बस खामोश रह के
जनाज़ा भारी सीने पे
घूमता बोझ लेके
कोहितूर से भी
है मजबूत मेरे होंसले ये
इरादा टूटा नहीं
खुदा से जुदा नहीं
दिलों में बस्ता रब
तो कभी मस्जिदों में
डूंडा नहीं जलूं मैं
रोज ताकि बुझे घर
का चूल्हा नहीं
भटकता में मुसाफिर
पर में मंज़िलो को भूला नहीं
आँखों से बहता नीला रंग
मेरी आशिकी है
देखा बस गुरूर तुम ना वाक़िफ़
मेरी सादगी से कलाकार ही
बस जाने कैसे उसकी रात बीते
होते ही अँधेरा दिल लगाता वो चांदनी से
में लिख के बस दिखाता
तुझे आइना हूँ
गलती इसमें मेरी क्या की
आये न पसंद तुझको को तू
बाते खींच के बताता
मेरा दायरा क्यों
फिर भी गाने डालू
तुझे हर गाने में
ज़ायका दूँ
पड़ी किताबे नहीं सिखाता मुझे बिता कल
नींद में चलु खवाबो का रहा मैं पीछा कर
पर ये है मैराथॉन तो कहता धीमा चल
जल्दी तोड़ेगा तो खायेगा कैसे मीठा फल
नज़र के बाहर हूँ मैं सबर के साथ हूँ मैं
ये रैपर मुर्शिद है अदब से मेरा हाथ चूमे
कितनो की हसद और कितनो की बना आरज़ू मैं
खामोश दिल की छुपी हुई आवाज़ हूँ में
घर का चिराग हूँ मैं सबको मैं रौशनी दूँ
मंज़िल मिलेगी पर सफर से अपने लौट नहीं तू
तू तेरी सोच से बड़ा है जायदा सोच नहीं तू
बस अपने दिल की सुन तू खो जाता है शोर में क्यूँ
सीखा है गमो में मैंने डूब के
पैरो में छाले फिर भी रिश्ता रास्तो से और धुप से
हम भी क्या खून कागज़ को कहते महबूब है
सियाही जान तो छिड़कता हूँ उससे मासूक पे
चलके में सड़को से,
बैठा अब पलकों पे
हर दिन चलता में
अपनी ही सरतो पे
ज़ख्मो से बहता लहू,
पोछा पर्दो से
मलहम लगाती कलम
मेरे दर्दो पे
सुखी ज़मी कहती
मुझपे कब बरसोगे
पर मेरा वादा
कल मिलने को तरसोगे
देते बिछा मेरे
पैरो में मखमल में
रोकू ये कह के
जुड़ा अब भी फर्शो से
End
If you Find any Mistake or missing in Kalandar song lyrics then please tell in the comment box below we will update it as soon as possible.
Hope You Enjoyed Munawar Faraqui Kalandar lyrics or Farhan Khan Kalandar lyrics please explore our website Hindiraplyrics for more Kalandars lyrics.
Kalandar Song Details and Credits
Song | Kalandar |
Rapper | Munawar Faraqui and Farhan Khan |
Music by | Noran Beatz |
Written by | Munawar Faraqui and Farhan Khan |
FAQ about Kalandar Songs
Below are some frequently asked questions and answers related to Kalandar song.
Q1. Who sing the Kalandar Song?
Munawar Faraqui and Farhan Khan sing the Kalandar song.
Q2. Who write lyrics of Kalandar song?
Munawar Faraqui and Farhan Khan
Q3. Who produced the music of Kalandar song?
Noran Beatz
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